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लॉकडाउन में टेरेस को ही बना डाला गार्डन

 खबरसबतक24 टीम .कोरबा ( छत्तीसगढ़). कांक्रीट के जंगल और सोशल मीडिया के इस जमाने में गार्डनिंग एक पुरानी याद बनकर रह गई है। आज की युवा पीढ़ी इस एहसास से कोसों दूर है। ऐसा नहीं है कि उन्हें इसका शौक नहीं है पर अब किसी के पास इतना समय ही नहीं है। ये मोटीवेशनल स्टोरी एक ऐसे इंसान की है जिसने समय की कमी के बावजूद लॉकडाउन में टेरेस पर अच्छा खासा गार्डन बना डाला। आज के युवाओं को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिये।संजय शर्मा पेशे से इंजीनियर हैं। छत्तीसगढ़ इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड(सीएसईबी)  में एडीशनल सीई के पद पर कार्यरत हैं। बिल्कुल समय नहीं मिलता पर शौक है फूलों में रंग भरने का। इनकी बगिया में हरतरह के रंग-बिरंगे फूल हैं।


लॉकडाउन में किए कई नए एक्सपरीमेंट

कहते हैं ना जहां चाह वहां राह। बचपन से ही गार्डनिंग की हॉबी थी। शौक भी ऐसा कि पथरीली जमीन पर गार्डन बना डाला। फिर समय की कमी की वजह से फोकस नहीं कर पाए। लेकिन लॉकडाउन ने ऑफिस वर्क के बावजूद गार्डनिंग के लिए मोटीवेट किया। संजय शर्मा ने बताया कि मुझे गार्डनिंग का शौक बचपन से थाl  लॉकडाउन के दौरान इस पर पूरा ध्यान लगाया और कई experiment किए। जब रिजल्ट देखा तो और उत्साह बढ़ा l मैंने गुलाब, मेरीगोल्ड और भी कई सीजनल फ्लावर को  छत पर लगाया और उनमें जो बहार देखी तो मुझे मजा आ गयाl अब तो ये हॉबी मेरे लिए सबकुछ है।आप लोग भी गार्डनिंग को hobby बनाइए और मजा देखें।

संजय शर्मा

फूल ही नहीं आर्गेनिक सब्जियां भी हैं गार्डन में

टेरेस गार्डन में कई समस्याएं भी आती हैं। लेकिन संजय शर्मा ने हार नहीं मानी और नए-नए प्रयोग करते चले गए। फूलों के बाद भिंडी, लौकी, शिमला मिर्च, हरी मिर्च,हरा धनिया भी लगाया। सब आर्गेनिक। बाजार में बिक रही सब्जियों से इनका टेस्ट बहुत अलग है।

पौधा मर जाता है तो बहुत दु:खी हो जाते हैं

संजय जी के लिए ये पेड़-पौधे बच्चों के समान हैं।वो खुद इनकी हर तरह से देखभाल करते हैं। किसी पौधे को कोई बीमारी लग जाती है तो खुद ही डॉक्टर बनकर इनका इलाज भी करते हैं। अगर कोई पौधा मर जाता है तो बहुत दुखी हो जाते हैं। उनका मानना है कि पेड़-पौधे भी हम इंसानों की तरह होते हैं। वे अपनी भाषा में हमसे बातें करते हैं। उन्हें भी सुख-दुख का एहसास होता है। काटने या तोड़ने पर उन्हें बहुत तकलीफ होती है।इसलिए हमें कभी ऐसा नहीं करना चाहिए। संजय जी पर्यावरण रक्षा के लिए काम कर रही संस्थाओं से भी जुड़े हैं।



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