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विभिन्न संस्कृतियों का मिलन स्थल है कश्मीर : राष्ट्रपति


अरविन्द तिवारी /श्रीनगर . लोकतंत्र में मतभेदों को दूर करने और नागरिकों की सर्वोत्तम क्षमता को सामने लाने की ताकत है और कश्मीर इस दृष्टिकोण को साकार कर रहा है। महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ  कोविंद ने मंगलवार को  कश्मीर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए आगे कहा कि  कश्मीर देश के बाकी हिस्सों के लिए हमेशा ही आशा का पुंज रहा है। यहां के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव की छाप पूरे भारत पर है। कश्मीर विभिन्न संस्कृतियों का मिलन स्थल है।

राष्ट्रपति की 5 बड़ी बातें

  1. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण था कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की यह उत्कृष्ट परंपरा टूट गई और हिंसा रोजमर्रा की वास्तविकता बन गई। हिंसा कश्मीरी संस्कृति से कोसों दूर थी।
  2. अब इस जमीन का खोया हुआ गौरव पुनः प्राप्त करने के लिये नई शुरुआत और दृढ़ प्रयास किए जा रहे हैं।
  3.  कश्मीर विभिन्न संस्कृतियों का मिलन बिंदु रहा है। मध्य युग में वह लाल देड़ थीं , जिन्होंने विभिन्न आध्यात्मिक संस्कृतियों को साथ लाने का रास्ता दिखाया था। लल्लेश्वरी के कार्यों में आप देख सकते हैं कि कैसे कश्मीर सांप्रदायिक सद्भाव और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व का रूप प्रदान करता है।
  4. यहां आये लगभग सभी धर्मों के लोगों ने यहां की अनूठी संस्कृतिकश्मीरियतको अपनाया और रुढ़िवाद त्यागकर अपने समुदाय के लोगों के बीच सहिष्णुता और आपसी मेलजोल को बढ़ावा दिया।
  5. यहां के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रभाव की छाप पूरे भारत पर है।  कश्मीर के युवा वर्गों को इसकी समृद्ध विरासत से सीख  लेने की जरूरत है।

बताते चलें कि कोरोना की चुनौतियों के बीच शेर--कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर श्रीनगर में आयोजित कश्मीर विश्वविद्यालय के 19 वे दीक्षांत समारोह में 2020-21 में पीएचडी , एम०फिल की डिग्रियों के अलावा अंडर  पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स में पास आउट हुये 84 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और डिग्रियां प्रदान किए गए। 

इनमें से अंडर ग्रेजुएट के विभिन्न स्ट्रीम में 27 , पोस्ट ग्रेजुएट के स्कूल आफ आर्ट्स में 07 , स्कूल आफ बिजनेस स्टडीज में 06 , स्कूल आफ फिजिकल एंड मैथेमेटिकल साइंस में 04 , स्कूल आफ अर्थ एंड इंवायरमेंटल स्टडीज में 06 , स्कूल आफ सोशल साइंस में 09 , स्कूल आफ एजूकेशन में 04 , स्कूल आफ बायोलाजिकल साइंस में 07 , स्कूल आफ एप्लाइंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में 08 , स्कूल आफ ओपन लर्निंग में 06 शामिल हैं। 

इस अवसर पर महामहिम राष्ट्रपति के साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कश्मीर विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो. तलत अहमद भी मौजूद रहे।

जब कश्मीरी में बोलने लगे राष्ट्रपति

रामनाथ कोविंद ने एसकेआईसीसी सभागार में उपस्थित हस्तियों और छात्रों से कहा, ‘‘क्या मैं कश्मीरी में कुछ शब्द कह सकता हूं।’’ उन्होंने इसके बाद मुस्कराते हुए कहा, ‘‘मेई सापाज खुशी तुही मीलिथ’’ यानी ‘‘मुझे आपसे मिलकर खुशी हुई।’’ स्टेडियम में मौजूद छात्रों सहित अन्य श्रोताओं ने इसपर तालियां बजाकर राष्ट्रपति का स्वागत किया। पिछले वर्षों में कई प्रधानमंत्री स्थानीय लोगों से जुड़ने के लिए अपने संबोधनों में कश्मीरी शब्दों का इस्तेमाल कर चुके हैं। फरवरी 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एसकेआईसीसी में कश्मीरी बोलकर श्रोताओं को आश्चर्यचकित कर दिया था। अप्रैल 2003 में यहां एक रैली में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कश्मीरी कवि मेहजूर की पंक्तियां बोलकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी थी।

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