भाषा के चक्कर में बेड़ा गर्क हो गया है। मेरा बेटा कक्षा 11 वीं में प्रवेश के लिए सीईटी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। मैथस में कमजोर होने के कारण ऑनलाइन टयूशन लगवा दी।एक दिन बेटा बोला मैडम क्या पढ़ा रहीं हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। मैंने कहा ठीक है, आज मैं भी तुम्हारे साथ क्लास में चलूंगा।
जूम पर निर्धारित समय पर मैडम प्रकट होते ही बोलीं-गुड इवनिंग स्टूडेंटस। फिर अचानक बोलीं आज भी आनंद लेट है उसे क्लास में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। मैंने बेटे से पूछा जूम में ऐसा होता है क्या? वो बोला – टेक्नालॉजी है पापा। फिर मैडम बोली अब हम त्रिकोणमिती पढ़ेंगे। बुक निकालो। बेटा बोला पापा ये कौनसा सब्जेक्ट है। मैंने कहा Trigonometry। फिर मैडम बोली कल हमने आपको बताया था साइन थीटा बटा कॉस थीटा बराबर होता है टेन थीटा के। बेटे ने पूछा ये बटा मतलब क्या? सब तरफ सन्नाटा।
मैडम ने कहा अब सब एक त्रिभुज बनाओ। आनलाइन मीटिंग में देखा सब बच्चे मैडम का मुंह ताक रहे थे। मैडम ने जैसे ही चित्र बनाया बच्चे बोले- अच्छा ट्रैंगल। मैडम ने कहा सब बच्चे सैंतीस में इक्यावन जोड़ो और उसे चार से भाग दो।ये होने के बाद छत्तीस का वर्गमूल निकालो। सब बच्चे खामोश।
मेरा बेटा क्लास से उठकर चला गया। बोला सैंतीस, वर्गमूल, भाग दो इन सबका क्या मतलब है? आज के जमाने में ये सब कौन पढ़ाता है? हमको कैसे समझेगा? बाद में पता चला कि मैडम हिन्दीभाषी राज्य से हैं और वहां से ऑनलाइन क्लास ले रही हैं। मैंने बेटे से कहा आजकल इंग्लिश और हिंग्लिश इस कदर हावी हो गई है कि बच्चे अपनी ही भाषा को भूलते जा रहे हैं। लिखना-पढ़ना तो दूर हिन्दी समझने में भी मुश्किल हो रही है। सैंतीस और इक्यावन तक नहीं मालूम। हमें ये सब सीखना होगा। पढ़ना होगा। गुगल बाबा के इस जमाने में जानकारी की कमी नहीं है।
पर उसने सिर्फ मेरा भाषण सुना। अंग्रेजी में ऑनलाइन क्लास लगा ली है। बहुत खुश है..बोलता है- गांव की भाषा से पीछा छूटा। रिजल्ट क्या होगा भगवान ही जानें। सालभर पढ़ाई नहीं की, अब क्या करेंगे।
लेखक : योगेश देशपांडे