भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी के फार्मूले पर काम करने का फैसला लिया गया है। इसके अनुसार उम्र दराज नेताओं को चुनावी राजनीति से रिटायर किया जाएगा। मध्यप्रदेश में 60 से 70 साल की उम्र वाले विधायकों में कुल 19 नाम आते हैं।
कांतिलाल भूरिया, डॉ. गोविंद सिंह, आरिफ अकील और पीसी शर्मा अजय सिंह यह सभी विधायक कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के साथ कुछ मतभेद होने पर भी ना केवल काफी नजदीकी हैं बल्कि मध्य प्रदेश में पार्टी के लिए निरंतर काम कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यदि किसी को कम करना पड़ा था सबसे पहला नाम केपी सिंह (65 वर्ष) का हो सकता है। इस फार्मूले के बाद हरीवल्लभ शुक्ला और उनके जैसे उम्र दराज नेता दावेदारों की सूची में भी शामिल नहीं होंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस अगर यह पॉलिसी लागू करने में सफल रही तो मध्य प्रदेश में सबसे अधिक इसका फायदा दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह को मिलेगा जो भविष्य में मुख्यमंत्री बनने का सपना संजोए हुए हैं इसी शतरंज की चाल के तहत राघोगढ़ राजा ने युवक कांग्रेस एनएसयूआई व महिला कांग्रेस संगठन पर अपना कब्जा बरकरार रखकर जयवर्धन सिंह के लिए एक नई टीम की तैयारी शुरू कर अंजाम देना शुरू कर दिया है ग्वालियर चंबल संभाग में इसके प्रभारी अशोक सिंह को बनाया गया है . अगर जातीय समीकरणों में देखें तो इसी शतरंजी चरण के तहत मध्यप्रदेश में कई जमीनी मजबूत पकड़ रखने वाले ब्राह्मण नेताओं को भी हाशीये पर रखा हुआ है इनमें कद्दावर नेता सुरेश पचौरी का नाम भी शामिल है इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग के नेता भी नाराज हैं उनको हाशीये रखकर कई दलों के साथ ही मतदाताओं द्वारा कई बार नकारे गए नेता फूल सिंह बरैया को तरजीह देकर आगे रखा है अल्पसंख्यक वर्ग में 35 से अधिक विधानसभा क्षेत्रों पर निर्णायक भूमिका निभाने वाले जैन तथा सिख समाज को भी कांग्रेस नेतृत्व दुर रखा है. परंतु असहाय कमलनाथ जो अध्यक्ष रहते हुए भी अपने दुखी मन की बात किसी से नहीं कह पाते विकलांग जैसी स्थिति में है. दूसरी ओर इस पॉलिसी से प्रभावित कई वरिष्ठ नेता समय के अनुसार दल बदल भी कर सकते हैं इनमें से कई नेता आप दहलीज पर खड़े हो सकते हैं सिटी टुडे के पास ऐसे नेताओं की पुख्ता जानकारी उपलब्ध है जिसको समय रहते हम उजागर करेंगे.