भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश में बारिश के बाद सहकारी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। इसमें 50 लाख से ज्यादा किसान सवा चार हजार प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के संचालक मंडल का चुनाव करेंगे। इसके आधार पर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और राज्य सहकारी बैंक के संचालक मंडल का चुनाव होगा। समितियों के चुनाव फरवरी 2018 से लंबित हैं। राज्य सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी के निर्देश पर चुनाव के लिए सदस्यता सूची तैयार कराई जा रही है। सहकारी अधिनियम में पांच साल में सहकारी समितियों के संचालक मंडल का चुनाव कराने का प्रविधान है नियमानुसार यह चुनाव फरवरी 2018 में हो जाने थे, लेकिन विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह चुनाव नहीं कराए गए थे। विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लग गई और चुनाव टल गए। इसके बाद कमल नाथ सरकार ने किसान ऋण माफी योजना लागू कर दी, जिसके कारण चुनाव नहीं हो पाए।
मार्च 2020 में सत्ता परिवर्तन के बाद कोरोना महामारी के कारण चुनाव की स्थिति नहीं बनी। तब से ही सहकारी समितियों के चुनाव टलते आ रहे हैं। अब तय किया गया है कि पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव होने के बाद सहकारी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। बारिश के बाद इसकी प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। इसके लिए सदस्यता सूची तैयार कराई जा रही है। समितियों से ऋण लेने वाले किसान लगभग 56 लाख हैं। इनमें से चालीस लाख मतदान में हिस्सा लेने की पात्रता रखते हैं, क्योंकि डिफाल्टर किसानों को मतदान में हिस्सा लेने की पात्रता नहीं होती है।
इनके नाम अलग करके सदस्यता सूची तैयार होगी। इसके आधार पर पहले समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। इसमें से जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों के लिए प्रतिनिधि चुने जाएंगे, जो संचालक मंडल का चुनाव कराएंगे। इनमें से अपेक्स बैंक के लिए प्रतिनिधि चुने जाएंगे, जो बैंक के संचालक मंडल का चुनाव करेंगे। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यदि कोई व्यवधान नहीं आया तो इस वर्ष के अंत तक चुनाव कराए जा सकते हैं। अभी बैंकों के सामान्य कामकाज का संचालन करने के लिए विभागीय अधिकारियों को प्रशासक बनाया गया है।