जस्टिस पसायत ने केंद्र सरकार के 'विवाद से विश्वास योजना' का सहारा लिया. इसके तहत उन्होंने 37.90 लाख रुपये चुका कर मामले को रफा-दफा किया.
सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व जज हैं जस्टिस अरिजीत पसायत. केंद्र सरकार ने काले धन को लेकर एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया था. पसायत उस जांच दल के उपाध्यक्ष हैं. हालांकि इस समय वह एक अलग वजह से खबरों मे हैं. जस्टिस पसायत पर आरोप है कि उन्होंने साल 2017-18 में इनकम टैक्स विभाग को अपने आय की सही जानकारी नहीं दी थी.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इनकम टैक्स विभाग की कटक यूनिट ने पाया था कि जस्टिस पसायत ने वित्त वर्ष 2017-18 के लिए अपनी आय का जो लेखा-जोखा पेश किया था, उसमें 1.06 करोड़ रुपये के संबंध में गलत जानकारी दी गई थी.
शुरुआत में तो उन्होंने इस आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन फिर बाद में जस्टिस पसायत ने केंद्र सरकार के 'विवाद से विश्वास योजना' का सहारा लिया. इसके तहत उन्होंने 37.90 लाख रुपये चुका कर मामले को रफा-दफा किया.
दरअसल, केंद्र सरकार ने लंबित टैक्स मामलों का जल्द निपटारा करने के लिए 17 मार्च 2020 को 'विवाद से विश्वास योजना' की शुरुआत की थी. जस्टिस पसायत ने नवंबर 2020 में इसका लाभ उठाया था.
इनकम टैक्स विभाग ने आदेश में क्या कहा?
रिपोर्ट के मुताबिक 31 दिसंबर 2019 को कटक के आयकर उपायुक्त ने जस्टिस पसायत के खिलाफ 21 पेज का आदेश पारित किया था.