सिटी टुडे। पोहरी से श्योपुर रोड पर 6 किलोमीटर दुर आदीवासी गाँव मे 100 अधिक घरों के 4 हैंँडपम्प पानी की 2 टैँकीया जरुर बनी हैं परँतु जैसे ये शो पीस मात्र हैं। चारों हैँडपम्प खराब व टैँकीया खस्ता हालत मे होने के बाद भी कोई अधिकारी तमाम शिकायतो के बाद भी इन गरीब मजदूर आदिवासीयो की कोई सुनवाई नही करते। हालात ये है कि इन विषम परिस्थितियों में जीवन यापन करने हेतु गांव के सभी घर आपसी चँदे से पेयजल हेतु पोहरी से एक टैँकर पानी मँगाते हैँ तो कभी दो टैंकर मंगाकर प्यास मिटाते हैं। कभी कभी कोई समाजसेवी या इन मजदूरों का ठेकेदार पोहरी से इनको दयनीय स्तिथि को देखकर पानी की अतिरिक्त व्यवस्था करवा देते हैं परँतु बेशर्म जिम्मेदार अधिकारी व नेता आँखों पर पट्टी बाँधे हैं।
ठीक इसी प्रकार मुख्य सडक से सिर्फ 1 किलोमीटर अँदर आदिवासी गाँव मडखेडा के भी यही हालात है वहाँ के निवासी 2 किलोमीटर दूर से पानी भर कर लाते है और जैसे तैसे बूंद बूंद से पानी की गागर भरकर परिवार की प्यास बुझाने की जुगत करते है।
प्राप्त जानकारी अनुसार इस तहसील के अधिकतर आदिवासी गाँवो मे पेयजल सँकट बना रहने से पेयजल के लिए हाहाकार होने के कारण आदिवासी समाज में आक्रोश है, हद तो यह है आदिवासी समाज के स्वंयम्भू चुनावी ठेकेदार सँगठनो ने आज तक इस समस्या को हल करवाने की कोई पहल नहीं की न ही इनकी सुध अब तक किसी राजनेता ने ली है।