पत्र की भाषा से ही परीक्षण किया जाए तो खुद फर्जी पत्र प्रमाणित होता है ज्ञात हो कि कोई भी केंद्रीय मंत्री किसी भी राज्य के मुख्य सचिव को सीधा पत्र नहीं लिखते और न ही पत्र में निवेदन अथवा आग्रह जैसे शब्द लिखते है।
इस पत्र का सोशल मीडिया पर जारी किए जाने के पीछे मप्र सरकार को बदनाम करने का षड्यंत्र स्पष्ट नजर आता है क्योंकि यह फर्जी पत्र ठीक 16 जुलाई को तब सोशल मीडिया पर वायरल होता है जिस दिन विवादित कार्यशैली व भ्रस्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे परिवहन आयुक्त मुकेश जैन को सरकार ने पद से चलता कर दिया था।
सर्वविदित है कि परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत से प्रशासनिक रूप से हटकर व्यक्तिगत रूप से मुकेश जैन के संबंध अच्छे नहीं थे सम्भवना है कि पद से हटने के बाद निवर्तमान परिवहन आयुक्त अथवा उन्होंने चहेते गुर्गे के माध्यम से सरकार तथा परिवहन मंत्री को बदनाम करने का षड्यंत्र करने का प्रयास किया हो।
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