सिटी टुडे। स्वच्छता की रैंकिंग में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी 13 वे स्थान पर होने के साथ ही 66 वार्ड में अधिकारी से लेकर सफाई मित्र तक कुल 32100 कर्मचारी अधिकारी तैनात हैं जिसमें कचरा गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर तथा सड़कों पर सफाई करने वाले कर्मचारी दरोगा सुपरवाइजर भी शामिल है, क्या कभी किसी समाजसेवी, जननेता, पार्षद किसी एनजीओ ने ग्वालियर नगर निगम की बदहाल सफाई व्यवस्था पर आकलन कर कोई शिकायत की अथवा जांच की मांग की? क्या हकीकत में 28 सौ से अधिक धरातल पर सफाई कर्मी है, जी नहीं।
ग्वालियर नगर निगम का स्वच्छता अभियान अधिकारियों की अवैध कमाई का एक बहुत बड़ा हथियार है। 66 वार्ड को 25 जोन में नगर निगम के सूत्रों अनुसार 210 वाहन घर घर से कचरा इकट्ठा करने में, 70 वाहन कचरा कलेक्शन करने के साथ ही 32 बड़े वाहन ब्लड कलेक्शन करने 22 जेसीबी कचरा उठाने में कार्यरत होने के साथ ही 22 मशीनों के माध्यम से मच्छरों की रोकथाम के लिए छिड़काव किया जाना कागजों पर दर्शाया जाता है जबकि हकीकत में कोई जांच एजेंसी से वाहनों तथा कर्मचारियों विशेषकर सफाई मित्र की संख्या, वाहनों के भुगतान के बिलों का सत्यापन, धन का सत्यापन करवाया जाए तो नगर निगम ग्वालियर में यह बहुत बड़े घोटाले का रहस्य का पर्दाफाश होगा।
प्राप्त जानकारी अनुसार स्वच्छता अभियान के लिए नगर निगम के जनसंपर्क विभाग द्वारा अधिकृत एजेंसी भी विवादित है बताया जाता है कि इस एजेंसी में निगम के ऐसे ही एक अधिकारी का शेयर है जिसको पूर्व में विज्ञापन घोटाला के कारण हटाया जा चुका था परंतु वर्तमान आयुक्त किशोर कन्याल ने इस घोटालेबाज अधिकारी को फिर से जनसंपर्क अधिकारी बना कर उपकृत किया हुया है। वर्षों से ग्वालियर में ही तैनात इस अधिकारी का मूल विभाग प्रदेश सरकार का जनसंपर्क विभाग है तथा यह ग्वालियर का ही स्थानीय निवासी है जो दोनों विभागों को अपनी जागीर मान बैठा है।सूत्रों अनुसार इस अधिकारी के पूर्व कार्यकाल तथा वर्तमान कार्यकाल के विज्ञापन घोटाले की जांच की जाए तो कई चेहरे बेनकाब होंगे। यह है ग्वालियर नगर निगम की स्वच्छता अभियान की हकीकत तथा हकीकत पर पर्दा डालने के लिए विज्ञापन घोटाला क्या कोई जांच एजेंसी इसकी जांच कर शासकीय धन के दुरुपयोग आर्थिक घोटाले को बेनकाब करेगी?
क्रमशः