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मालवा की धार और चंबल का पानी, कुछ ऐसा है विजयवर्गीय-दिग्विजय का याराना, अब बालेन्दु से भी याराने का हाथ बढ़ाया

सिटी टुडे। आज दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे की धूम है। ऐसे में भारत में राजनेताओं के बीच इस दिन को सेलिब्रेट करने का चलन न के बराबर ही देखने को मिलता है। अब जब बात दोस्ती की चल ही चुकी है तो कट्टर विरोधी कहे जाने वाले नेता कैलाश विजयवर्गीय और दिग्विजय सिंह की दोस्ती भी सियासी गलियारों में हमेशा सुर्खियों में रही है। इस दोस्ती की शुरुआत तब होती है, जब दिग्विजय सिंह प्रदेश के सीएम हुया करते थे।

दिग्विजय सिंह ने कैलाश को बनाया ताकतवर

दरअसल जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री थे तब, इंदौर की राजनीति में सुमित्रा महाजन जिन्हें ताई के नाम से भी जाना जाता है। उनका वर्चस्व हुआ करता था। इस समय कैलाश विजयवर्गीय इंदौर में युवा नेता थे। ऐसे में कहा जाता है ताई को कमजोर करने के लिए दिग्विजय सिंह ने कैलाश विजयवर्गीय को चुना था।

दिग्विजय की मदद से कैलाश बने थे महापौर

कैलाश विजयवर्गीय के महापौर बनने में भी तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का हाथ माना जाता है क्योंकि जब बीजेपी ने विजयवर्गीय को महापौर का टिकट दिया था तो कांग्रेस ने उनके सामने अपना प्रबल दावेदार को बिठाकर सुरेश सेठी को समर्थन दे दिया तब 69 वार्डों में फ्री फॉर ऑल की तर्ज पर पार्षद पद के उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था। ये फैसला दिग्विजय सिंह सरकार ने लिया था और माना जाता है कि इसी फैसले की वजह से विजयवर्गीय महापौर बन पाए थे। दिग्विजय के कार्यकाल में कैलाश ने पहुंचाया फायदा बता दें कि यह वो वक्त था जब दिग्विजय सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब केंद्र में भाजपा सरकार थी। 

वर्तमान राजनीति के बदलते समीकरण ने दिग्विजय सिंह को उस बालेंदु शुक्ला के साथ दोस्ती करने के लिए मजबूर कर दिया जिस शुक्ला के विरुद्ध वह 1980 से अंतिम क्षण तक राजनीतिक गोटियां बिछाते रहे, समीकरण बदले स्वर्गीय कैलाश वासी माधवराव सिंधिया के बाद शुक्ला की कांग्रेस में उल्टी गिनती शुरू हो गई औऱ शुक्ला भाजपा में चले गए। समीकरण फिर बदले और में ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस से अलविदा लेकर जैसे ही भारतीय जनता पार्टी में पहुंचे उसके तत्काल बाद बालेंदु शुक्ला ने एक बार फिर कांग्रेस में प्रवेश लेकर राजनीतिक पारी को कमलनाथ का सहारा पाकर गति दी। शुक्ला को उम्मीद थी के ग्वालियर चंबल संभाग में वह सर्वमान्य नेता होंगे परंतु ऐसा हो न सका क्योंकि इस अंतराल के बीच में कई उनके कनिष्ठ नेता अब वरिष्ठ नेता बन गए थे। सूत्रों अनुसार अब दिग्विजय सिंह ने उनसे दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, हालांकि यह समीकरण अभी स्पष्ट नहीं हुए कि शुक्ला ने सिंह के साथ याराने का इकरार अब तक किया है अथवा नहीं।

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