सिटी टुडे। जागरूक लोगों ने इंजीनियर से लेकर कलेक्टर तक को गड़बड़ियों के वीडियो फुटेज उपलब्ध कराए थे। यह भी बताया था कि बांध की दीवार में जहां काली मिट्टी जानी थी, वहां पत्थर डाले जा रहे हैं। इस पर कॉन्ट्रैक्टर प्रेमी इंजीनियरों ने शिकायतकर्ता को जवाब दिया कि यदि आप ज्यादा जानते हैं तो आप ही डैम बनवा लीजिए।
शिकायतकर्ता लोकेश सोलंकी बांध के पास ही गुजरी गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि 10 अगस्त 2018 को जबसे बांध के निर्माण का काम शुरू हुआ, तभी से इसमें गड़बड़ियां हो रही हैं। कॉन्ट्रैक्टर मनमर्जी से काम कर रहे थे। हमने अपनी शिकायतों में अफसरों से कह दिया था कि डैम जिस तरह से बन रहा है, उससे इसके धराशायी होने की आशंका है। इसके लिए आप ही जिम्मेदार होंगे। हुआ भी वही, बारिश होने पर मिट्टी की पकड़ ढीली हो गई। ज्यादा बारिश होने पर दीवार में रिसाव शुरू हो गया। मिट्टी की दीवार में पत्थर ही सबसे बड़ी दिक्क्त बने।
इन्हें सब पता था, लेकिन चुप रहे...
- एसडीओ एसके सिद्दीकी: 23 सितंबर 2020 को पहली शिकायत इन्हें ही दी गई। कहा गया कि अर्थ वर्क ठीक नहीं हो रहा है। कंक्रीट की गुणवत्ता खराब है।
- एग्जीक्यूटिव इंजीनियर बीएल निनामा: यही शिकायत निनामा को भी दी गई।
- अधीक्षण यंत्री पुरुषोत्तम जोशी : शिकायत की कॉपी इन्हें भी दी गई।
- चीफ इंजीनियर सीएस घटोले: शिकायत करने पर जवाब दिया कि आप ज्यादा जानते हैं तो बांध आप ही बनवा लीजिए।
- ईएनसी एमएस डाबर: 17 मई 2022 को डाबर के दफ्तर में भी शिकायत दी, लेकिन उन्होंने भी ध्यान नहीं दिया।
- कलेक्टर डॉ. पंकज जैन: कहीं सुनवाई नहीं हुई तो 21 जून को लोकेश सोलंकी ने धार कलेक्टर को पेन ड्राइव में पूरे वीडियो के साथ शिकायत दी। ये भी बताया कि सीएम हेल्पलाइन में की गई उनकी शिकायत पर भी कोई एक्शन नहीं लिया गया।
सुनवाई नहीं हुई तो भोपाल आकर ईएनसी को शिकायत की
धार और इंदौर में जल संसाधन विभाग के इंजीनियरों ने सुनवाई नहीं की तो लोकेश सोलंकी ने भोपाल आकर शिकायत की। उन्हें बताया गया कि प्रमुख अभियंता दफ्तर में नहीं हैं। आखिर ऐसा कैसे संभव है कि प्रमुख अभियंता का पद लंबे समय तक खाली पड़ा रहे।