शांतनु शर्मा.नागपुर. कोरोना की दूसरी लहर ने काफी तबाही मचाई है। विदर्भ के लोगों को तीसरी लहर से बचाने ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के 65 हजार डॉक्टर्स की तरफ से एक नई पहल की शुरूआत की गई है। ब्रिटिश एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडियन ओरीजन (BAPIO) के माध्यम से इन डॉक्टर्स ने 4 करोड़ रुपए की सहायता राशि भेजी है। जिससे विदर्भ के हर गांव तक मेडिकल फैसिलिटी पहुंचाई जा रही है ताकि यहां का हर इंसान स्वस्थ और सुरक्षित रह सके।
डॉक्टर्स ऐसे कर रहे हैं हमारी मदद
BAPIO के अध्यक्ष डॉ रमेश मेहता, ओबीई के अध्यक्ष डॉ जे एस बमराही और सीबीई सचिव प्रोफेसर पराग सिंघल सहित कोषाध्यक्ष,डॉ अरविंद शाह इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। निजी अस्पताल के निदेशक राजू खंडेलवाल, निमिश खंडेलवाल भी हर तरह से प्रयास कर रहे हैं। विदर्भ के प्रत्येक गांव में मेडिकल फैसिलिटी से लैस केंद्र बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर दवाई, मेडिकल इक्यूप्मेंट, फूड पैकेट और राशन बैगस पहुंचाए जा रहे हैं। इसके लिए पद्मश्री डा. प्रकाश आमटे, पद्मश्री डा. अभय बंग और रानी बंग, पद्मश्री आशीष सातव और कविता सातव तथा आनंदवन के डा. विकास आमटे खास तौर पर मार्गदर्शन और मदद कर रहे हैं।
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर पर फोकस किया
आईएपी के संरक्षक और कॉमहाड के कार्यकारी निदेशक डॉ उदय बोधनकर ने महाराष्ट्र खबर24को बताया – ‘हम नहीं चाहते कि विदर्भ में कोरोना की तीसरी लहर बेकाबू हो। इसके लिए हमने तैयारी शुरू कर दी है। हमारा सबसे ज्यादा फोकस ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और मेडिकल इक्यूप्मेंट पर है।’ उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर में सबसे ज्यादा मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। इसलिए हम इस तरफ ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। डा. बोधनकर ने कहा कि कोरोना के लिए खासतौर पर एशिया में भारत को टारगेट किया गया है। पड़ोसी देशों पर इसका ज्यादा असर नहीं दिखाई देता।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र पर ज्यादा जोर
डॉ बोधनकर ने कहा कि हम नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल सुविधाएं पहुंचाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। इसके लिए हमने कई सेंटर बनाएं हैं। गढ़चिरोली और उसके आसपास के गांवों के लिए ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, वेंटिलेटर, मेडिकल इक्यूप्मेंट और दवाएं भेजी जा रहीं हैं। इसके अलावा मेलघाट,भामरागढ़,वरोरा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गांव-गांव तक दवाई, मेडिकल इक्यूप्मेंट, फूड पैकेट और राशन बैगस पहुंचाए गए हैं।
इसलिए कर रहे डाक्टर्स हमारी मदद
भारत में आई कोरोना की दूसरी लहर में ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के 65 हजार भारतीय डॉक्टरों में से किसी न किसी ने अपनों को खो दिया। चाहे वो छोटे बच्चे हों या रिश्तेदार या फिर दोस्त। इसके बाद इन डाक्टर्स ने कोरोना की तीसरी लहर से लोगों को बचाने की ठानी। फिर क्या था ब्रिटेन में सहायता राशि जुटाई गई, जो भारतीय करेंसी में लगभग 4 करोड़ रुपए थी। नागपुर के साथी डॉक्टरों से चर्चा की गई। बात बन गई। योजना बनी। इस राशि से मेडिकल इक्यूप्मेंट खरीदे गए। इन्हें विदर्भ के उन गांवों में पहुंचाया गया जहां मेडिकल फेसिलिटी थी ही नहीं।
अब तक 50 सेंटर्स में पहुंचा सामान
प्रोजेक्ट के तहत अब तक 50 सेंटर्स में 130 वेंटिलेटर,300 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर,5000 पल्स ऑक्सीमीटर,पीपीई उपकरण और दवाएं पहुंचाए गए हैं। तेजी से अन्य स्थानों पर भी ये सामान पहुंचाया जा रहा है।
बनाया गया है वर्चुअल हब
डाक्टर्स ने टेलीमेडिसिन पर काम शुरु कर दिया गया। इसके लिए वर्चुअल हब बनाया गया है। जिससे जानकारी साझा की जाती है। अब जल्द निर्णय लिए जा रहे हैं। कोविड वार्डों की सहायता के लिए वर्चुअल वार्ड राउंड तैयार किया गया है। नागपुर में किंग्स-वे अस्पताल में वर्चुअल वार्ड राउंड सेंटर बनाया गया है। जहां से मरीजों का आब्जर्वेशन किया जा रहा है। इस सेवा को उन अन्य अस्पतालों से भी जोड़ा जा रहा है, जहां स्टाफ की कमी है।अब रेडियोलॉजिकल जांच, सीटी स्कैन की रिपोर्ट को जल्द साझा किया जा रहा है, जिससे जरूरतमंदों तक तुरंत इलाज मिल सके।
क्या है BAPIO UK
BAPIO UK एक गैर-राजनीतिक, राष्ट्रीय संगठन है। इसकी स्थापना यूके में 1996 को हुई थी। खास बात ये है कि उपराजधानी से मेडिकल ग्रेजुएट डॉ रमेश मेहता ने इस संगठन की स्थापना की थी।
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ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और मेडिकल इक्यूप्मेंट |
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डॉ. रमेश मेहता, अध्यक्ष, BAPIO |
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डा. उदय बोधनकर |