नई दिल्ली. संसद के मानसून सत्र से पहले प्रधानमंत्री मोदी और एनसीपी चीफ शरद पवार की करीब 50 मिनट की बातचीत से राजनीति गरमा गई है। इससे पहले पवार शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल से भी मुलाकात कर चुके थे। शनिवार सुबह 10.30 बजे पीएम मोदी और पवार के बीच बैठक शुरू हुई, जो लगभग 50 मिनट तक चली। गौरतलब है कि इससे पहले पीएम मोदी ने माहाराष्ट्र के सीएम उध्दव ठाकरे से भी मुलाकात कर चुके हैं।
जानें क्या है वजह
मोदी-पवार मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं। ये भी कहा जा रहा है कि बीजेपी और एनसीपी मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बना सकते हैं। अगर दोनों के बीच गठबंधन होता है तो देवेन्द्र फडणवीस फिर से सीएम बन सकते हैं। शायद इसलिए फडणवीस केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए। अगर शिवसेना का बीजेपी के साथ गठबंधन हुआ तो फडणवीस को सीएम का पद नहीं मिल सकता है। राज्य में अगर बीजेपी-शिवसेना सरकार बनेगी तो वही 50-50 का फॉर्मूला होगा। बता दें कि राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पवार खारिज कर चुके हैं। इसका मतलब साफ है कि महाराष्ट्र को लेकर कोई खिचड़ी पक रही है।
बीजेपी और एनसीपी नदी के दो छोर हैं : मलिक
इधर शनिवार को मुंबई में एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि बीजेपी और एनसीपी नदी के दो छोर हैं। जब तक नदी में पानी है, ये दोनों साथ नहीं आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि हम पूरी तरह से अलग हैं, चाहे वो वैचारिक हो या फिर राजनीतिक दृष्टि हो। एनसीपी और बीजेपी का साथ आना असंभव है। संघ के राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी पार्टी के राष्ट्रवाद में ज़मीन-आसमान का फर्क है।
पवार देश के उन वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं में हैं जिनके सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध हैं। पिछले दिनों उन्होंने कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की थी। उनकी इस कवायद को विपक्षी एकता मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा गया था।