मुंबई . महाराष्ट्र में सियासी उठा-पटक के बीच भाजपा-शिवसेना फिर करीब आते नजर आ रहे हैं। रविवार को पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए।
भाजपा के वरिष्ठ नेता फडणवीस ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी और पूर्व सहयोगी शिवसेना दुश्मन नहीं हैं, हालांकि हमारे बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद हैं। महाराष्ट्र विधानमंडल के मानसून सत्र की पूर्व संध्या पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति में कोई ‘किंतु परंतु’ नहीं होता। यह पूछे जाने पर कि क्या दो पूर्व सहयोगियों के फिर से एक साथ आने की संभावना है, फडणवीस ने कहा कि स्थिति के आधार पर उचित निर्णय किया जाएगा। फडणवीस ने कहा कि हमारे दोस्त (शिवसेना) ने हमारे साथ 2019 का विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव के बाद उन्होंने (शिवसेना) उन्हीं लोगों (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस) से हाथ मिला लिया, जिनके खिलाफ हमने चुनाव लड़ा था।'
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने रविवार को कहा कि आघाड़ी सरकार विपक्ष का सामना नहीं करना चाहती। क्योंकि कुछ मंत्रियों पर उगाही के आरोप लगे हैं। वह राज्य के वन मंत्री रहे शिवसेना नेता संजय राठोड़ और होम मिनिस्टर रहे अनिल देशमुख की बात कर रहे थे। एक प्रेस कांफ्रेस में फडणवीस ने आघाड़ी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी का बहाना बनाकर सरकार राज्य विधानमंडल का मानसून सत्र सिर्फ 2 दिन के लिए बुलाकर लोकतंत्र का मजाक बना रही है। उन्होंने कहा कि हम सरकार का असली चेहरा सामने लाएंगे। इसके लिए हम आक्रमक भी होंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मुझे संन्यास लेने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी। मैं अगले 25 साल तक राजनीति में रहूंगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने विधानसभा के मॉनसून सत्र की पूर्व संध्या यानी कि रविवार को होने वाली चाय पार्टी को रद्द कर दिया है। यह चाय पार्टी परंपरा के अनुसार होनी थी। सत्र की पूर्व संध्या पर चाय पार्टी की मेजबानी करने की परंपरा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे पूरी तरह से रद्द करने से यह संदेश जाता है कि महा विकास अघाड़ी असुरक्षित है। संभावना है कि सरकार स्पीकर के चुनाव पर चर्चा से बचना चाहती है।