अरविन्द तिवारी .बंगलुरु . महामहिम राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने बुधवार को राजभवन में बसवराज बोम्मई को पद एंव गोपनीयता की शपथ दिलाई। बोम्मई कर्नाटक के 23 वें मुख्यमंत्री हैं। शपथ ग्रहण के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरुप्पा सहित भाजपा के कई बड़े केंद्रीय और राज्य के वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
शपथग्रहण से पहले नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री बोम्मई भगवान श्रीमारूति मंदिर में दर्शन करने पहुंचे थे। बताते चलें कि सीएम बोम्मई आज शाम ही कैबिनेट की मीटिंग बुलायेंगे जिसमें सीनियर अधिकारियों संग बैठक में बाढ़ और कोरोना की स्थिति को लेकर चर्चा करेंगे।
येदि से लिया आर्शीवाद
नये मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को पूर्व सीएम येदियुरुप्पा का शिष्य और बेहद चहेता माना जाता है , विधायक दल की बैठक में येदियुरुप्पा ने ही बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा।
शपथ लेने के बाद बोम्मई ने येदियुरप्पा के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया। बोम्मई को जनता दल से भाजपा में लाने वाले येदियुरुप्पा ही माने जाते हैं।
एक तीर से दो निशाने
बीएस येदियुरप्पा के करीबी कहे जाने वाले बोम्मई को सीएम बनाकर भाजपा ने पूर्व सीएम येदि और लिंगायत समुदाय दोनों को ही साधने का प्रयास किया है। बोम्मई भी उसी लिंगायत समुदाय से आते हैं , जिससे येदियुरप्पा का ताल्लुक था। दरअसल कर्नाटक में येदियुरुप्पा भाजपा की मजबूरी हैं ।
बोम्मई प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से आते हैं और येदियुरप्पा भी इसी समुदाय से हैं। राज्य की कुल आबादी में समुदाय की हिस्सेदारी 16-17 प्रतिशत है और इसे भाजपा के मजबूत वोटबैंक के तौर पर देखा जाता है।
येदि की छाया में सरकार
बसवराज के मुख्यमंत्री बनने से यह माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी येदियुरप्पा का प्रभाव कर्नाटक की राजनीति में बना रहेगा। बसवराज बोम्मई का सियासी अनुभव भी उनके सीएम बनने की दिशा में काम आया।इनके पिता एसआर बोम्मई भी वर्ष 1988 -1989 में 281 दिन के लिये राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। जबकि स्वयं बसवराज भी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार में गृह , कानून , संसदीय एवं विधायी कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे थे।
बोम्मई ने भले ही जनता दल के साथ राजनीति की शुरुआत की थी , लेकिन अब उन्होंने बीजेपी के मजबूत नेता के तौर पर अपनी छवि बनायी है। इंजीनियरिंग और खेती से जुड़े होने के नाते बसवराज को कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है।
राज्य में कई सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू करने की वजह से उनकी तारीफ होती है। बोम्मई की शैक्षणिक योग्यता , प्रशासनिक क्षमतायें और येदियुरप्पा व भाजपा के केंद्रीय नेताओं से करीबी इस पद के लिये उनके चयन की प्रमुख वजहों में बतायी जा रही है।
3 सीएम ने ही किया कार्यकाल पूरा
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने वाले बाईस नेताओं में से केवल तीन मुख्यमंत्री ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके। येदियुरप्पा ने चार अलग-अलग कार्यकालों के जरिये कुल 1901 दिनों के लिये मुख्यमंत्री का पद सम्हाला। जब तक कर्नाटक में अब तक 09 मौकों पर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल का एक साल भी पूरा नहीं कर सके।
बसवराज ने अपना राजनीतिक सफर जनता दल से शुरू किया था और दो बार ( वर्ष1997 और वर्ष 2003) में कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य रहे। वे मुख्यमंत्री जे० एच० पटेल के राजनीतिक सचिव भी रहे और परिषद में विपक्ष के उपनेता भी रहे।
बोम्मई ने जनता दल (युनाइटेड) छोड़कर फरवरी वर्ष 2008 में भाजपा का दामन थाम लिया और उसी साल हुये विधानसभा चुनावों में हावेरी जिले के शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुये। इसके बाद वे वर्ष 2013 और वर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में भी इस सीट से निर्वाचित हुये। परिवार की बात करें तो बोम्मई का विवाह चेनम्मा से हुआ है और उनके एक बेटा व एक बेटी हैं।