आस्था का केन्द्र बन गई हनुमान टेकरी, राम प्रतिमा प्रदेश में होगी अनोखी
1968 में बना था पहला ट्रस्ट
हनुमान टेकरी को आकर्षक, सुन्दर और धार्मिक स्थान बनाने के लिए सन् 1968 मेे पहला ट्रस्ट बना था। अध्यक्ष नारायण प्रसाद तिवारी और सचिव ओर मैनेजर फैलीराम जी बने थे। उपाध्यक्ष देवीलाल खेड़ापति, कोषाध्यक्ष शिवप्रसाद भार्गव को बनाया गया था। ट्रस्ट का सन् 1982 में पुनर्गठन हुआ, उसमें अध्यक्ष राधेश्याम तायल अध्यक्ष बने। हनुमान टेकरी को नया स्वरूप कुछ सालों में दिया, इसका श्रेय पदाधिकारियों के साथ तत्कालीन विधायक और नगर पालिका अध्यक्ष राजेन्द्र सलूजा को जाता है, जिनको यहां काम कराने के लिए कोर्ट और पुलिस की कार्रवाई तक झेलना पड़ी थी
आस्था का केन्द्र बन गई हनुमान टेकरी, राम प्रतिमा प्रदेश में होगी अनोखी हनुमान टेकरी पर प्राचीन शिव मंदिर भी है, साथ में सिद्ध बाबा भी विराजे हुए हैं। प्राकृतिक मनोरम पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। संगमरमर से निर्मित टेकरी सरकार का मंदिर अपनी अनुपमा छटा के लिए भी जाना जाता है। यहां पर चढऩे के लिए सीढिय़ां लगाई गई हैं। जिनकी संख्या 501 है। हनुमान टेकरी के आसपास पांच पहाड़ भी है, जिनमें एक पहाड़ पर राम टेकरी भी है जहां प्रदेश की सबसे ऊंची भगवान राम की प्रतिमा जल्द स्थापित होगी,जिसका काम तेजी से चल रहा है। हनुमान टेकरी पर हनुमान जी की प्रतिमा और सिद्ध बाबा का स्थान बनवाने में हनुमान प्रसाद, गन्नालाल टेलर, अशोक गर्ग, युवा समिति के पदाधिकारियों की अह्म भूमिका रही। सन् 2005 में हनुमान टेकरी को नया स्वरूप देना शुरू हो गया था, यह काम सन् 2008 में बड़ी तेजी से हुुआ।
राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविंद भी यहां आए थे
हनुमान टेकरी मंदिर की मान्यता के बारे में बताते हैं कि यहां जिस भक्त ने जो भी मान्यता की, वह पूरी हुई है। इस मंदिर पर दर्शन के साथ मान्यता के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया,राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह जैसे कई दिग्गज राजनेता यहां आए हैं। राष्ट्रपति बनने से पहले रामनाथ कोविन्द राज्यपाल बनकर यहां आए थे, वे यहां अपनी मान्यता करके गए, उसके कुछ समय बाद ही वे राष्ट्रपति बने और बनने के बाद कोविन्द गुना आए थे। वहीं इनके विरुद्ध जिसने भी आवाज उठाई, उसकी आवाज या तो हमेशा के लिए दब गई या राजनीति और नौकरी मेे उनके सितारे गर्दिश में हो गए। इनमें एक पूर्व मुख्यमंत्री के बेटे का नाम सबसे ऊपर है। जिसने हनुमान टेकरी पर हुए निर्माण कार्य आदि की जांच कराने का मामला विधानसभा में उठाया था।