परिवहन आयुक्त मुकेश जैन विभाग के पहले आयुक्त है कि मुख्यालय से नदारद रहकर भोपाल में अपने व्यापारिक कामों में व्यस्त होने के कारण विभाग की अंदरूनी लड़ाई पहली बार सड़कों पर 1 साल से चर्चित हो रही है साथ ही यह भी पहली बार हो रहा है आयुक्त के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत को लेकर मामला लोकायुक्त होते हुए उच्च न्यायालय तक पहुंचा बताया जाता है कि इस प्रकरण में विभाग के ही एक पूर्व निरीक्षक महत्वपूर्ण गवाह हैं इन सब बातों से शासन की तो छवि खराब हो रही है साथ ही आयुक्त की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगने के साथ ही अब परेशान अधिकारी कर्मचारियों ने आयुक्त के खिलाफ भी अघोषित मोर्चा खोल दिया है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार आयुक्त ने मोर्चा खोला है कुछ निरीक्षको ने तो हमें उत्साह में अपना नाम भी उजागर करने की बात कही है परंतु उनके हित में अनुशासनहीनता के कारण हम उनके नाम उजागर नहीं कर सकते
सूत्रों अनुसार आयुक्त के निर्देश पर पहले विभाग से इनकी कार्यप्रणाली के अनुसार वसूली का कार्य शोर के रूप में इंतजाम करते थे परंतु जब इनके सर पर भी पानी निकल गया तो उन्होंने इसकी शिकायत भरी मीटिंग में मंत्री जी से कर डाली मंत्री जी की फटकार लगी पहली बार नहीं दूसरी बार पहली बार फटकार तब लगी थी जब यह बात प्रमाणित हो गई आयुक्त महोदय अपने मनमाफिक वसूली के लिए अधिकारी एवं कर्मचारियों को छोटी-छोटी बातों पर मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हैं प्रताड़ना की शिकायत हम तब लिख रहे हैं जब विभाग के ही एक छोटे से अधिकारी की पत्नी ने मानवाधिकार आयोग तक को शिकायत कर डाली.
सावधान चला चली की बेला में आयुक्त अपनी कार्यप्रणाली बदल कर समाज के नकारा उन पीत पत्रकारों का सहारा ले रहे हैं जिनको समाज प्रशासन तथा मीडिया पर नियंत्रण करने वाली संस्थाओं ने नकारा कर साबित कर दिया कि परंतु आयुक्त इन के कंधो के सहारे जिनको पीत पत्रकारिता अपराधी तथा सजायाफ्ता लोगों को पत्रकारिता के क्षेत्र में बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा ऐसे लोगों की आयुक्त ने टोली बनाकर एक ही फाउँट में शिकायतें टाइप करवा कर टोली के सदस्यों के माध्यम से पहले शिकायतें विभाग को ही करवाई जाती थी अब आयुक्त की निगाह लोकायुक्त की कुर्सी पर है तो अब लोकायुक्त को ही शिकायतें करवाई जा रही है वैसे हमारे नारद मुनि के अनुसार लोकायुक्त डीजी की चला चली की बेला में परिवहन आयुक्त की चली चला इस कुर्सी तक पहुंचने में सफलता नहीं मिलेगी तुम कि उनके विरुद्ध कई गंभीर आरोप लोकायुक्त जांच में विचाराधीन है शायद उनके अनुज अथवा विपिन महेश्वरी को सफलता मिल सकती है अनुज की कार्यप्रणाली शासन तथा विभाग एवं प्रशासन के अलावा जनमानस के हित में भी सदैव सकारात्मक रही है. उपायुक्त रहते उपेंद्र जैन ने परिवहन विभाग को आधुनिक तकनीकी का अमलीजामा पहनाया था अब वह खुद परिवहन आयुक्त के दावेदार हैं फिलहाल वह एक नामी व्यापारी ठेकेदार जिसकी एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इन्हीं के एक सबसे छोटे अनुज हैं छापे के बाद इसी नामी ठेकेदार व्यापारी की फर्म में कंसलटेंट बन गई आईपीएस की पत्नी जो पहले से ही 1 विकलांगों के एनजीओ के घोटाले में शामिल है जल्दी ही घोटाला उजागर होने के सँकेत हैँ फिलहाल शासन निर्णय माह के अंत तक ले सकता है. कुछ सूत्रों साथ परिवहन आयुक्त के नजदीकी लोगों का कहना है के आयुक्त मुकेश जैन अपना रिटायरमेंट जून 2023 में यहीं से लेंगे फिलहाल क्या सत्य है यह शासन के आदेश ही बता पाएंगे परंतु परिवहन विभाग की छवि विभाग के ही अधिकारी कर्मचारी मुकेश जैन की कार्यप्रणाली से पीड़ित होकर पहली बार चर्चा में चर्चित हो रहे है .