न्याय में विरोधाभास अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी न्यायपालिका और न्यायाधीशों पर आरोप लगाना फैशन बन गया है यह चिंतनीय है निर्णयों पर असहमति हो सकती है पर इस तरह की टिप्पणी गलत है आखिर इस तरह की स्थितियां क्यों निर्मित होती है इसे समझने की जरूरत है पंजाब विधानसभा चुनाव के पहले हाईकोर्ट ने विक्रम सिंह मजीठिया को जमानत देने से इंकार कर दिया केस अपील में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने जमानत देते हुए कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है अतः किसी को भी इस प्रक्रिया में भाग लेने से नहीँ रोका जाना चाहिए और उन्हें जमानत दे दी ताकि वो अपना नामांकन पत्र दाखिल कर सके दूसरा केस समझिए महाराष्ट्र से विधायक अनिल देशमुख और नवाब मलिक ने राज्यसभा चुनाव के लिए एक दिन की पैरोल माँगी थी उनकी दलील थी हाईकोर्ट चाहे तो उन्हें अस्पताल से विधानसभा भवन तक जाने पुलिस एस्कार्ट दिया जाय और मतदान कर वापस आ सकें पर हाईकोर्ट ने इंकार कर दिया और वो मतदान नहीँ कर सके
लोकतंत्र की परिभाषा के दो अलग अलग विश्लेषण कोर्ट के ही है