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बेलगाम हुआ श्योपुर जिला परिवहन कार्यालय 2 बाबू और 1 चपरासी के हवाले



सिटी टुडे। जिस प्रकार विवादित भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे परिवहन आयुक्त मुकेश जैन मुख्यालय से नदारद रहकर भोपाल कैंप कार्यालय अथवा मोबाइल से ही पूरे प्रदेश का परिवहन विभाग चलाते हैं अब इसका असर जिला स्तर के कार्यालयों पर भी पड़ रहा है जिससे अवैध वाहनों का संचालन होने के साथ ही राज्य शाषन को राजस्व की हानि हो रही है। प्रस्तुत है ग्राउंड रिपोर्ट की प्रथम किस्त


परिवहन मुख्यालय से तकरीबन 200 किलोमीटर दूर राजस्थान की सीमा से लगा हुआ मप्र के श्योपुर जिला 25 मई 1998 से इस कार्यालय में अधिकतर प्रभारी ही रहे हाल ही में 8 महीने पूर्व ढाई साल तक जिला परिवहन अधिकारी श्री केबरे के सेवानिवृत्त होने के बाद जिला परिवहन कार्यालय श्योपुर का नियंत्रण मुख्यालय में आरटीओ कार्यालय ढाई साल से पदस्थ महिला एआरटीओ के पास है।

जिले में सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक 51 बस, 21 मिनी बस, 74 स्कूल बस के अलावा ढाई हजार से अधिक ट्रैक्टर पंजीयन हैँ। बताया जाता है कि जिला मुख्यालय से राजस्थान के सवाई माधोपुर बाराँ जयपुर कोटा आदि के अलावा शिवपुरी भोपाल ग्वालियर गुना इंदौर की ओर आने जाने वाली भी 50 से अधिक बसें कुल 105 बसे यात्रियों की सुविधा के लिए संचालित होती हैं एक ट्रेवल एजेंसी के संचालक के मुताबिक कुल बसों में 10% बसें विभिन्न कारणों के कारण सड़क पर नहीं दौड़ती शेष सभी बसें आवागमन के लिए संचालित होती हैं परंतु दुर्भाग्य इस जिले का 8 महीने से विभाग के जिला मुख्यालय में दो बाबू श्री माहोर तथा बनवारी लाल शर्मा के अलावा एक चपरासी सहित स्मार्ट सिटी के 2 कर्मचारी ही तैनात हैं। बताया जाता है कि माह में दो बार ग्वालियर से प्रभारी एआरटीओ सुबह आकर शाम को वापस चली जाती हैं उनका बाकी सभी काम बनवारी लाल शर्मा ही करते हैं चाहे वह अवैध वसूली ही क्यों न हो।

जिला मुख्यालय पर कोई भी स्थाई अधिकारी न होने के साथ-साथ इन बसों की जांच एवं सत्यापन के लिए कोई भी निरीक्षक उप निरीक्षक पदस्थ नहीं है जब के मुख्यालय में कई निरीक्षक/उप निरीक्षक पदस्थ है जिनके पास कोई काम नहीं। श्रीमान आयुक्त साब का एक चहेता उप निरीक्षक तो लंबे समय से उड़नदस्ता प्रभारी है।

फिलहाल बात करते हैं हम करते हैं श्योपुर जिले की जहां से उपरोक्त सरकारी आंकड़ों के अलावा 20 से अधिक वीडियो कोच बसे भी नियमों को खूंटी पर टांग कर संचालित होती हैं सूत्रों अनुसार इन सब की चेकिंग फिटनेस परमिट आदि का जिम्मा परिवहन विभाग के पास है परंतु अवैध बसों का संचालन मोटर व्हीकल एक्ट का पालन क्या दो बाबू एक चपरासी करवाएंगे ऐसी हालत में बेलगाम जिला परिवहन कार्यालय की स्थिति को भांपते हुए बस मालिक भी बेलगाम होकर अवैध बसों का संचालन कर रहे हैं जिससे शाषन को राजस्व हानि पहुंचाई जा रही है।

एक अन्य जानकारी के अनुसार जिले में टैक्स बचाने के उद्देश्य कूट रचित कागजों के आधार पर ट्रेक्टर कृषि कार्य के लिए दलालों द्वारा पंजीकृत करवाए जाते हैं जब भी हकीकत में 1,000 से अधिक ट्रेक्टर जिले की विभिन्न सीमाओं के अलावा सीमा से लगे राजस्थान बॉर्डर से विभिन्न नदियों से अवैध रेत का परिवहन व्यापार खनिज तथा परिवहन कर्मचारियों की सांठगांठ से निरंतर बढ़ता जा रहा है अवैध बसों का संचालन मोटर व्हीकल एक्ट का पालन न होने से लाखों रुपए प्रति माह राजस्व हानि भी हो रही है परंतु परिवहन आयुक्त ने अपने स्वार्थों की खातिर शासन से अनुमोदित करा करवा कर मुख्यालय में बैठी अधिकारी को प्रभारी बना रखा है जबकि पूर्व में कई बार निरीक्षक भी प्रभारी जिला परिवहन अधिकारी  रहे हैं अथवा एक सौ किलोमीटर दूर शिवपुरी का जिला अधिकारी अतिरिक्त प्रभार सँभालता रहा है।

यही नहीं स्वयं को परिवहन मंत्री से अधिक ताकतवर मानने वाले बेलगाम श्रीमान आयुक्त मुकेश जैन ने जिला परिवहन अधिकारी श्योपुर कार्यालय को बेलगाम बना रखा है आखिर कब मोटर व्हीकल एक्ट का कठोरता से पालन अवैध बसों का संचालन रोका जाएगा क्या फिर किसी बड़ी हृदय विदारक दुर्घटना का इंतजार है विभाग को?

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