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क्या जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता के आगे के लक्ष्य तय कर रहा संघ

सिटी टुडे। मप्र प्रवास पर आए सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत के भोपाल के भाषण से ऐसा लग रहा है कि संघ अपने आगामी लक्ष्यों को लेकर लगातार चिंतन कर रहा है। चिंतन और मंथन के बाद जो अमृत निकलता है, सरसंघचालक उसे साझा कर अपनी आगामी नीतियों के संकेत देने में भी देरी नहीं करते। अनुच्छेद 370 हटाने की बात हो, राम मंदिर निर्माण जैसे मुद्दों पर अमल करने के बाद संघ अब यह साफ कर रहा है कि संघ का तीन साल बाद सौ साल का सफर पूरा होने तक भारत पूरी दुनिया का नेतृत्व करे, यही संघ की मंशा है। अब जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता जैसे मुद्दों पर तो सरकार को आगे बढ़ना तय है और संघ अब इसके आगे की प्राथमिकताओं को सामने खुलकर रख रहा है। अब बात इससे आगे बढ़कर हिंदू राष्ट्र का निर्माण, सनातन धर्म का उत्थान और दुनिया को जीवन जीना सिखाने का कर्तव्य निर्वहन करने की मंशा, गौवंश की हत्या पर प्रतिषेध जैसे कदमों तक जा पहुंची है। यानि 2024 के पहले केंद्र की एनडीए सरकार के माध्यम से बहुत कुछ ऐसे राजनैतिक कदम आगे बढ़ते दिखाई दे सकते हैं, जिनका सीधा असर देश की हिंदू जनता के दिमाग पर होगा। और 2024 फतह करने के बाद फिर संघ की राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत सोच केंद्र सरकार के फैसलों में अमल होती नजर आएगी। सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत नपे-तुले शब्दों में सीधे-सीधे संकेत देने में कंजूसी नहीं बरतते।

भोपाल में आयोजित विश्व संघ शिक्षा वर्ग के समापन समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि हमारे देश के अस्तित्व का प्रयोजन दुनिया को धर्म देना है। विश्व के कल्याण की इच्छा रखने वाले ऋषियों के तप से हमारे राष्ट्र का जन्म हुआ। स्वामी विवेकानंद ने बताया कि भारत को अपने स्वार्थ के लिए नहीं, बल्कि दुनिया के लिए जीना है। विदेश में रह रहे हिंदुओं का दायित्व है कि वे भारतीय संस्कृति से मिली अच्छाइयों को वहां के लोगों दें। महर्षि अरविंद ने कहा था, सनातन धर्म का उत्थान हो यही भगवान की इच्छा है। सेलुलर जेल में साक्षात वासुदेव ने मुझे यह बताया है। सनातन धर्म के उत्थान की पूर्व शर्त है हिंदू राष्ट्र यानी हिंदुस्थान का उत्थान। महर्षि अरविंद ने जब यह कहा था तब किसी को नहीं पता था कि संघ की स्थापना होने वाली है और स्वयंसेवक विभिन्न देशों में जायेंगे और वहां हिंदू संस्कृति के विस्तार के लिए कार्य करेंगे। यानि कि सब कुछ साफ है। सनातन धर्म के उत्थान और घोषित हिंदू राष्ट्र के पक्ष में महापुरुषों के कथन के जरिए शायद डॉ. भागवत यही कहना चाह रहे हैं कि उनकी सरकार के रहते इन कदमों पर अमल करने की बारी अब आ गई है। और लक्ष्य यही है कि सनातन धर्म के जरिए पूरी दुनिया को जीना सिखाया जाए। इसके लिए सबसे जरूरी है कि भारतीय युवा वर्ग पूरी दुनिया में फैलकर सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति का इस तरह प्रचार करे कि वसुधैव कुटुम्बकम का वह पाठ हकीकत में बदले, जब दुनिया हिंदुस्थान या हिंदू राष्ट्र के विचारों को आत्मसात करने पर मजबूर हो जाए। इसीलिए सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि हमारा धर्म प्राण राष्ट्र है। सबको जोड़ने वाले सत्य को हमने पाया। सारा विश्व एक ही है इसलिए वास्तविक सुख के विचार को सभी देशों में पहुंचाना हमारा धर्म है। इसलिए ऋषियों ने हमको आदेश दिया कि सारे विश्व का मानव जीवन की शिक्षा हमसे पाए, ऐसा हमारा जीवन होना चाहिए।

सरसंघचालक डॉ. भागवत ने बताया कि संघ स्थापना के पांच वर्ष पूर्व नागपुर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन के व्यवस्था प्रमुख की जिम्मेदारी डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार देख रहे थे। अधिवेशन की अध्यक्षता महात्मा गांधीजी कर रहे थे। तब डॉ हेडगेवार जी ने दो प्रस्ताव दिए– एक, गोवंश हत्या बंदी। दो, भारत की पूर्ण स्वतंत्रता को कांग्रेस अपना ध्येय घोषित करे। उसी में यह भी घोषित किया जाए कि स्वतंत्र भारत पूंजी के चंगुल से दुनिया के देशों की मुक्तता करेगा। डॉक्टर साहब का यह विचार-दृष्टिकोण वृहद था। तो संघ का स्वतंत्रता में योगदान डॉ. भागवत ने इसमें बखूबी बता दिया है। संघ और उसकी विचारधारा पर हमला करने वालों को बिना नाम संबोधित किए डॉ. भागवत ने करारा जवाब दे दिया। यह बता दिया कि स्वतंत्रता संग्राम में किसका क्या योगदान था, यह बात इस एक उदाहरण से वह समझ लें। जो बार-बार यह साबित करना चाहते हैं कि स्वतंत्रता केवल उनके त्याग-बलिदान का प्रतिफल है। तो संकेत भी दिया कि गोवंश हत्या बंदी अब संघ की प्रमुख प्राथमिकताओं में शुमार है।

तो डॉ. भागवत ने यह भी बता दिया है कि तरुण पीढ़ी को संघ का कार्य आगे ले जाना है। संघ की शाखा पद्धति मनुष्य को सदाचारी बनाती है, यह सिद्ध हो गया है। सरसंघचालक ने कहा कि हिंदू स्वयंसेवक संघ से प्रेरित होकर अनेक देशों में वहां के लोगों द्वारा इसी पद्धति से अपने समाज जागरण के प्रयास प्रारंभ किए हैं। भारत के नागरिक जहां रह रहे हैं, वहां वे उस देश की सेवा कर रहे हैं। उनकी यह बातें इंगित कर रही हैं कि इसी सेवा का ही प्रतिफल है कि अमेरिका, ब्रिटेन सहित विश्व के सभी देशों में भारतीय मूल के निवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका है।  अब भारत जनसंख्या नियंत्रण कानून और समान नागरिक संहिता से पार पाकर अगले लक्ष्यों सनातन धर्म का उत्थान, हिंदू राष्ट्र, गोवंश हत्या बंदी जैसे लक्ष्यों को पाने के लिए तैयार है…।

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