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ग्वालियर : कॉंग्रेस की जीती बाजी को हार में बदलने वाले विलेन कौन

सिटी टुडे। यह मामला ग्वालियर नगर निगम के सभापति चुनाव का है। आज शुक्रवार 5 जुलाई को ग्वालियर नगरनिगम के महत्वपूर्ण पद सभापति का निर्वाचन संपन्न हुआ जिसमें नाटकीय ढंग से कांग्रेस के 3 पार्षदों ने मतदान में संदिग्ध भूमिका निभाकर कांग्रेस की जीती हुई बाजी को हार में बदलकर भारतीय जनता पार्टी के मनोज तोमर को जीत दिलाकर सभापति निर्वाचित करवाने में अपनी भूमिका निभाई आखिर इस जीत को हार में बदलने वाले विलेन कौन है।

प्राप्त जानकारी अनुसार कांग्रेस के पास जोड़-तोड़ लगाकर भारतीय जनता पार्टी के कुछ पार्षदों को सेट करने के बाद कांग्रेस के पावर सेंटर बने विधायक सतीश सिकरवार ने कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मी गुर्जर को जिताने के लिए जीत का आंकड़ा बना लिया था, सतीश के इस गणित को भाँपकर भारतीय जनता पार्टी की एक कद्दावर नेता ने सिकरवार परिवार से पारिवारिक संबंध होने के कारण सतीश सिकरवार को सचेत किया था कि सरकार से मत टकराओ, प्रस्ताव भी दिया कि कांग्रेस भाजापा हम दोनों से समझौता कर बिना चुनाव के भारतीय जनता पार्टी के सभापति को निर्वाचित करवा दो  इसके बाद गारंटी दी कि शेष सभी शर्तें कांग्रेस को दी जाएंगी परंतु इसे सतीश सिकरवार ने नकार दिया व स्पष्ट कहा कि चुनाव तो होंगे भले हार जीत किसी की हो और सिकरवार ने पूरी दमदारी से कॉंग्रेस प्रत्याशी को चुनाव लड़वाया।

सुबह 9:30 बजे अशोक सिंह सहित कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व में होटल सेंट्रल पार्क में कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा ने जब ऐलान किया के सभापति चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी श्रीमती लक्ष्मी गुर्जर होंगी तो कुछ देर बाद ही वहां विधायक लाखन सिंह पहुंचे वरिष्ठ नेताओं तथा कांग्रेस अध्यक्ष पर मनमानी एवं पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि मेरी पार्षद बहू अर्थात उपासना सिंह पति संजय सिंह (युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव) क्यों नहीं सभापति का चुनाव लड़ेगी इसी बात को लेकर टकराव एवं गर्मागर्मी हुई विधायक प्रवीण पाठक ने भी एक बंद कमरे में अशोक सिंह के साथ सभी वरिष्ठ नेताओं की मीटिंग के बाद देवेंद्र शर्मा के ऐलान के नाम को समर्थन देने की बात कहकर जलविहार के लिए रवाना होने वाले थे कि इसी बीच कांग्रेस के विलेन बने नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के साथ चर्चा कर विद्रोह की स्थिति बना दी। बताया जाता है कि अंतिम समय में विलेन के नेतृत्व में जिन 3 पार्षदों ने पार्टी नेतृत्व के विरुद्ध मतदान में संदिग्ध भूमिका निभाई वह सभी तीनों पार्षद दिग्विजय सिँह समर्थक चिन्हित किए गए हैं। विलेन नेताओं के इशारों पर मतदान में संदिग्ध भूमिका निभाने वाले पार्षदों के कारण कांग्रेस की जीती हुई बाजी भारतीय जनता पार्टी की झोली में चली गई। लक्ष्मी गुर्जर एवं मनोज चुनाव तोमर में कांटेदार चुनाव हुआ और मात्र 1 वोट से भाजापा के मनोज तोमर चुनाव जीत गए।

सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस जीती हुई बाजी हार के गड्ढे में धकेलने वाले कांग्रेस के वह विलेन नेता कौन है जिन्होंने तत्काल, क्षणिक भर मे स्वार्थ को तथा परिवारवाद की खातिर हार की इस पटकथा को अंजाम दिया।

फिलहाल इन विलेन नेताओं की शिनाख्त होने के साथ साथ भारतीय जनता पार्टी की संजीवनी बनी इस जीत का सेहरा के असल हकदार मुख्य रणनीतिकार प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रधुम्न सिंह तोमर और ग्वालियर के प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट हैं।

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