सिटी टुडे, इंदौर। प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी के निर्देश पर सह आरोपियों के विरुद्ध f.i.r. कर दी गई जबकि मुख्य आरोपी अभी भी कार्यालय में बैठ खेल खेल रहे हैं। ऐसे में सह आरोपियों के विरुद्ध FIR का यह खेल कहीं मुख्य आरोपियों संजय तिवारी एवं राज नारायण सोनी को बचाने का माध्यम तो नहीं है? क्योंकि....
- नियमों में ऑनलाइन राशि जमा करने के आदेश के बाद भी संजय तिवारी डिप्टी कमिश्नर के निर्देश पर राज नारायण सोनी असिस्टेंट कमिश्नर ने धरोहर राशि का ड्राफ्ट ले लिया और वह ड्राफ्ट भी बैंक में कैश नहीं कराया। क्या आबकारी आयुक्त इस बात में सहमत थे कि ऑनलाइन की जगह ड्राफ्ट लिया जाए और उसे कैश भी न कराया जाए जब तक कि ठेकेदार स्वयं ठेका छोड़कर न भाग जाए?
-इस नियम विरुद्ध कार्य करने के लिए क्या संजय तिवारी डिप्टी कमिश्नर एवं असिस्टेंट कमिश्नर सोनी के विरुद्ध FIR दर्ज नहीं होनी चाहिए?
-संजय तिवारी एवं राज नारायण सोनी की जोड़ी ने 25 फरवरी से 2 अगस्त के बीच आखिर किस बात का इंतजार किया कि सरकार की राशि तक नहीं जमा कराई?
- बैंक गारंटी FDR के रूप में ली गई और एफडी को वेरीफाई कराने के लिए 2 अगस्त का समय चुना गया तब तक 15 करोड़ का सरकार का नुकसान हो चुका था जबकि यह काम 3 दिन के अंदर कराया जाना होता है। मप्र शाषन को इस 15 करोड़ रुपए की भरपाई कौन करेगा आबकारी आयुक्त महोदय, डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी, या असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी? क्या इनके विरुद्ध तत्काल निलंबित करने की कार्यवाही नहीं होनी चाहिए?
- 15 अप्रैल को एलाइजी शराब दुकान की अंतिम बार लाइसेंस फीस जमा हुई और ठेका 7 जून को निरस्त हुआ इन 55 दिनों में दुकान चलाने के लिए नंबर दो की शराब किसने दिया संजय तिवारी ने या राज नारायण सोनी ने?
- बिना शराब की एनओसी लिए बिना शराब का परमिट लिए 55 दिन तक दुकान कैसे चलती रही ? क्या संजय तिवारी डिप्टी कमिश्नर ने विदेशी शराब गोदाम से नंबरं दो में माल निकलवाया था?
- एवं आई जी दुकान के चौराहे पर लगे सीसीटीवी कैमरों से यह पता चलता है कि दुकान में भारी भीड़ थी जब लाइसेंस फीस जमा नहीं थी तो माल कहां से आया दुकान में बेचने के लिए? क्या नंबर दो में सस्ता माल देकर ठेकेदार को अतिरिक्त पैसा कमाने का अवसर दिया जा रहा था? क्या यह माल गुजरात के सिंडिकेट ने दिया था? या डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी ने विदेशी शराब गोदाम से दिलाया था? नंबर दो की शराब सप्लाई कर बिना लाइसेंस फीस जमा कराए सरकारी गबन कर दुकान चलाने के षड्यंत्र पर आखिर क्यों डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी और राज नारायण के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने चाहिए?
-15 अप्रैल के बाद जारी सभी एनओसी और परमिट की जांच करनी चाहिए जो बिना लाइसेंस फीस जमा कराए जारी किए गए इसके लिए दोषी कौन होगा डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी है सोनी?
ऐसे बहुत सारे प्रश्न खड़े हो गए न प्रमुख सचिव से जवाब मिल रहा ना आबकारी आयुक्त से से जवाब मिल रहा है लगता है सह आरोपियों को f.i.r. करा कर एक एडीओ और बाबू को सस्पेंड कर 15 करोड़ का हिसाब शासन से कर लिया जाएगा। पर क्या लोकायुक्त, आर्थिक अपराध ब्यूरो और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भी सह आरोपियों के एफ आई आर के आधार पर बरगलाया जा सकता है।
बेहद ईमानदार डीजी लोकायुक्त एवं डीजी आर्थिक अपराध ब्यूरो* क्या यह नहीं समझेंगे कि पूरा षड्यंत्र और समय का लाभ नियमों से परे जाकर संजय तिवारी डिप्टी कमिश्नर और राज नारायण सोनी ने दिया और इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर उपकृत होते रहे।
मानसून सत्र के अगले विधानसभा में यह सबसे बड़ा मुद्दा साबित होगा जिसमें ग्वालियर क्षेत्र के *नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह जी स्वयं ध्यानाकर्षण लाएंगे* तब माननीय मंत्री देवड़ा जी को यह बताना मुश्किल होगा कि संजय तिवारी डिप्टी कमिश्नर एवं राजनारायण सोनी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की।