मुंबई. लॉकडाउन और लगातार बढ़ती महंगाई से लोग परेशान हैं। व्यापारियों का धंधा भी मार खा रहा है। छोटे व्यापारी तो खत्म होते जा रहे हैं। हर कंपनी ग्राहकों तक अपना माल पहुंचाना चाहती है। कंपनियां कीमतें बढ़ाने की हिम्मत नहीं कर पा रहीं हैं। उन्हें मालूम है कि यदि कीमतें बढ़ाईं तो वे कॉम्पीटिशन में पीछे रह जाएंगीं।
ग्राहक भी ज्यादा खर्च करने के मूड में नहीं है। उनकी अपनी मजबूरियां हैं। ऐसे में कंपनियों ने नया जुगाड़ किया है। अब वे 5, 10 पैकेट का साइज छोटा करते जा रहे हैं और उसमें माल कम , हवा ज्यादा भर रहे हैं। मजे की बात है कि ग्राहकों इसकी भनक तक नहीं लग रही है।
कुरकुरे, मैगी, कैडबरी, बिस्कुट, चिप्स सेव, मिक्सचर के साथ ऐसा करीब सालभर से किया जा रहा है। 100 ग्रा. का पैकेट 75 या 60 ग्रा. का बन गया है। बावजूद इसके ये बहुत धड़ल्ले से बिक रहा है।
ये है इसकी वजह
पिछले 1 साल में आटा, मैदा, बेसन रवा के साथ-साथ खाद्य तेलों की कीमतों में जमकर उछाल आया है। लॉकडाउन धंधा खा गया। बाजार में सुस्ती है। ऐसे में कंपनियों ने यह रास्ता निकाला कि उत्पाद को हल्का करके मुनाफा बरकरार रखा जाए। उनकी यह ट्रिक बहुत काम कर गई।
पारले, ब्रिटानिया 5 और 10 वाले बिस्कुट का वजन घटा चुकीं हैं। लेज, पेप्सिको इंडिया ने भी 5 और 10 रुपए में मिलने वाले लेज और कुरकुरे का वजन कम कर दिया है।