नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि अस्पताल पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं और यह सब मानव जीवन को खतरे में डालकर हो रहा है।निजी अस्पतालों को 2-3 कमरों से संचालित करने की अनुमति देने की बजाय राज्य सरकारें बेहतर अस्पताल प्रदान कर सकती हैं। न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने कहा कि अस्पताल बड़े उद्योग बन गए हैं। हम उन्हें जीवन की कीमत पर समृद्ध नहीं होने दे सकते। बेहतर होगा ऐसे अस्पतालों को बंद कर दिया जाए।
ये है मामला
दरअसल, शीर्ष अदालत राजकोट और अहमदाबाद में हुई आगजनी की घटनाओं के बाद देश भर के कोविड-19 अस्पतालों में आग की त्रासदियों से संबंधित एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रहा था। पीठ ने भवन उपयोग अनुमति के संबंध में अस्पतालों के लिए समय सीमा बढ़ाने की छूट देने के लिए गुजरात सरकार की खिंचाई की। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार से अस्पतालों को छूट देने वाली इस अधिसूचना को वापस लेने को कहा।
क्या कहा अदालत ने
पीठ ने कहा कि एक मरीज जो कोविड से ठीक हो गया था और उसे अगले दिन छुट्टी दी जानी थी, परंतु आग लगने से उसकी मौत हो गई और दो नर्सें भी जिंदा जल गईं। ये मानवीय त्रासदी हैं, जो हमारी आंखों के सामने हुआ। फिर भी हम इन अस्पतालों के लिए समय बढ़ाते हैं।
अस्पताल एक रियल एस्टेट उद्योग बन गए हैं और संकट में मरीजों को सहायता प्रदान करने के बजाय यह व्यापक रूप से महसूस किया गया कि वे पैसे कमाने की मशीन बन गए हैं।