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काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर यूनेस्को की विरासत में शामिल

 

पेरिस . अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थलों की सूची में तेलंगाना स्थित काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा मंदिर) मंदिर को शामिल किया है , यूनेस्को ने इस संबंध में रविवार को घोषणा की है। तेलंगाना के वारंगल (मुलुगू) जिले के हनमाकोंडा (पालमपेट) घाटी स्थित शिव को समर्पित मंदिर के चयन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुये लोगों से दर्शन करने की अपील की है। 

गौरतलब है कि  भगवान शिव का यह इकलौता मंदिर है जिसे इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम से भी जाना जाता है। इसे 100 खंभों वाला मंदिर भी कहा जाता है। काकतीय वंश के महाराजा गणपति देव ने इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में करवाया था। इस मंदिर को बनने में चालीस साल का समय लगा था। छह फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य उकेरे हुये हैं। यह प्रदक्षिणा पथ से घिरा हुआ है। मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की नौ फीट ऊंची विशाल मूर्ति भी है , शिवरात्रि और श्रावण के महीने में यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं। 

मंदिर के शिल्पकार रामप्पा के काम को देखकर महाराजा इतने प्रसन्न हुये कि उन्होंने मंदिर का नाम ही रामप्पा के नाम पर रख दिया। पुरातत्व बैज्ञानिकों ने जब मंदिर के ईंट पत्थरों की जांच की तब पता चला कि इस मंदिर को तैरने वाले ईंट पत्थरों से बनाया गया है। इस वजह से इसके पत्थर हल्के और कम टूटते हैं। लेकिन अभी भी ये रहस्य बना हुआ है कि ये पानी में तैरने वाले पत्थर कहां से आये ? वर्ष 1163 में काकतिय नरेश राजा रूद्र देव द्वारा निर्मित यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के चयन पर खुशी जताते हुये लोगों को (खासतौर से तेलंगाना के लोगों को) बधाई दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि रामप्पा मंदिर महान काकातयी राजवंश के अप्रतीम कला का शानदार नमूना है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि इस सुंदर मंदिर के दर्शन कर इसकी महानता का अनुभव करें।

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