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ढूंढ़ते-ढूंढ़ते बदल गए चार एसपी, अब फिर नए पुलिस कप्तान से उम्मीदें

 ढूंढ़ते-ढूंढ़ते बदल गए चार एसपी, अब फिर नए पुलिस कप्तान से उम्मीदें

नए एसपी के सामने कई चुनौतियां: गीता और आत्माराम को जमीन निगल गई या आसमान!


आत्माराम का भी नहीं लगा पता


ये मामले भी अब तक नहीं सुलझ पाए


डेढ़ साल पूर्व गुना शहर के बीचों-बीच स्थित हनुमान टेकरी पर हजारों रुपए की चोरी हो गई थी। इस चोरी का खुलासा करने वालों को टेकरी सरकार ट्रस्ट की और से 51 हजार और गुना पुलिस की और से दस हजार रुपए का इनाम घोषित किया हुआ है, इस चोरी का भी अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है।


काले हिरणों के धड़ भी ढूंढना एक चुनौती: नए पुलिस अधीक्षक के लिए आरोन में कुछ समय पूर्व हुए पुलिस कर्मियों के हत्याकांड के समय काले हिरणों के धड़ जो थे, वे अभी तक पुलिस को नहीं मिल पाए हैं, उनको भी ढूंढऩा एक चुनौती से कम नहीं हैं।


सिटी कोतवाली अन्तर्गत भोगीराम कॉलोनी में एक साल पूर्व बुजुर्ग वेदप्रकाश पंगासा की हत्या हुई थी, जिसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ।


नानाखेड़ी में रहने वाले सचिन देव की हत्या हो गई थी, उसका अभी तक खुलासा नहीं हुआ है।


चौधरन कॉलोनी में जैन परिवार की एक वृद्धा की हत्या हो गई थी, उसका भी कोई सुराग नहीं लगा है।


अपराधियों को नहीं छोड़ा जाएगा : श्रीवास्तव


नवागत पुलिस अधीक्षक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि किसी भी अपराधी को संरक्षण नहीं दिया जाएगा और न ही किसी अपराधी को छोड़ा जाएगा। सफेद पोश यदि अपराधी है तो उसको भी नहीं बख्शा जाएगा। एसपी ने कार्यभार ग्रहण करने के बाद पत्रकारों पहली मुलाकात के दौरान कहा वे पहले गुना में भी रह चुके हैं। एसपी के रूप में शाजापुर रह चुके हैं। आरोन में हुए घटना को लेकर पूछे जाने पर कहा कि अभी इस मामले में और भी आरोपी बनाए जा सकते हैं। चर्चा के समय उनके साथ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह चौहान भी मौजूद थे।







गुना. जिला पुलिस बल में पुलिस अधिकारी और कर्मचारियों के रूप में एक से बढ़कर एक एक्सपर्ट अधिकारी हैं, अच्छा-खासा पुलिस बल हैं, इस सबके बाद भी पुलिस विभाग के लिए आरोन की गीता और कनेरा गांव का आत्माराम पारदी के साथ-साथ डेढ़ साल पूर्व गुना के हनुमान टेकरी पर हुई पुलिस चोरी सिरदर्द बनी हुई है।


गीता को गायब हुए तीन साल से अधिक समय हो गया है, जबकि आत्माराम को गायब हुए छह साल से अधिक समय हो गया है, जबकि इनको ढूंढने के लिए पूर्व में रहे तत्कालीन एसपी राहुल लोढ़ा, तरुण नायक, राजेश कुमार सिंह और राजीव कुमार मिश्रा अपने स्तर पर अलग-अलग पुलिस टीम बनवाकर प्रयास करते रहे। इस सबके बाद भी अभी तक इन दोनों को पुलिस नहीं ढूढ़ पाई है, जबकि संदिग्धों में नाम तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के सामने कई लोगों के आते रहे। हाल ही में पुलिस अधीक्षक बनकर आए पंकज श्रीवास्तव के लिए भी ये दोनों चुनौती हैं, जबकि यह मामले उच्च स्तर तक ही नहीं पहुंचे, बल्कि हाईकोर्ट भी इन दोनों अलग-अलग मामलों की सुनवाई के समय अलग-अलग आदेश देते रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गुना पुलिस अधीक्षक के लिए हनुमान टेकरी की चोरी भी चुनौती बन गई है। इन तीनों के मामलों में देखा जाए तो तीनों पर अलग-अलग इनाम भी घोषित है।


ये है मामला


आरोन थाना क्षेत्र के सिरसी गांव में रहने वाले गजेन्द्र चंदेल की पुत्री 1 अगस्त 2017 को अपहरण हो गया था, उसकी रिपोर्ट 9 अगस्त 2017 को आरोन पुलिस थाने में अपराध क्रमांक 444/17 धारा 363, 366 आइपीसी के तहत मामला दर्ज हुआ था। तत्कालीन थाना प्रभारी एपी सिंह ने इस मामले की कायमी कर एक आरोपी जितेन्द्र प्रजापति को गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन गीता बरामद नहीं हो पाई थी। उसकी ऊंचाई लगभग 4 फीट 5 इंच, बाल घुंघराले, रंग सांवला, चेहरा गोल है। उक्त युवती के बारे में सूचना देने वाले को तीस हजार रुपए का इनाम तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक ग्वालियर की ओर से घोषित किया गया था।


इन पुलिस अधिकारियों पर लगे थे आरोप


गीता के पिता के बयान के बाद यह बात सामने आई है कि आरोन पुलिस थाने के तीन पुलिस अधिकारियों ने लापरवाही न बरती होती तो गीता भी मिल जाती और उसके आरोपी भी मिल जाते। डीआइजी एके पांडे के अनुसार जार्ज क्रिस्टो एसआइ, सुल्तान सिंह रावत एसआइ और तत्कालीन थाना प्रभारी एपी सिंह के विरुद्ध विभागीय जांच शुरू हो गई थी, इसके तहत इन तीनों को नोटिस दिए गए थे। क्रिस्टो ने चालान पेश किया था, सुल्तान सिंह रावत ने आरोपी जितेन्द्र प्रजापति की गिरफ्तारी दिखाई थी। अभी तक डेढ़ सौ से अधिक लोगों से गीता के मामले में पूछताछ कर चुके हैं। एक-दो संबंधित पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई हो चुकी है।


कोर्ट में भी पहुंचा मामला: अपहृत युवती के न मिलने के बाद उसके पिता गजेन्द्र चंदेल ने ग्वालियर हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर रखी है। इसमें हाईकोर्ट ने इस गंभीर मामले में संज्ञान लेते हुए अब मप्र के पुलिस महानिदेशक को हलफनामा देने के लिए नोटिस जारी किया था। इस संवेदनशील मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट ने जिले के तत्कालीन पुलिस कप्तान और ग्वालियर रेंज के तत्कालीन आइजी से भी हलफनामा मांगकर केस की स्टेटस रिपोर्ट तलब की थी। गीता बाई के मामले में तत्कालीन थाना प्रभारी आरोन अभय प्रताप सिंह की लापरवाही सरासर तौर पर देखी गई। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने अपने आदेश में गीता की तलाश के लिए अलग से एक दल बनाया था, वह भी तलाश करता रहा। इस मामले में लापरवाही मानकर तत्कालीन टीआइ एपी सिंह का एक इक्रीमेन्ट तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रोक चुके हैं। इसके बाद एसपी बनकर आए तरुण नायक, राजेश कुमार सिंह और राजीव ुकुमार मिश्रा के कार्यकाल में गीता की तलाश होती रही, लेकिन गीता नहीं मिली।


ऐसे ही दूसरा मामला धरनावदा पुलिस थाने के कनेरा गांव का है, जहां से कुछ वर्ष पूर्व आत्माराम पारदी गायब हो गया था। उसे ढूंढऩे के लिए पुलिस के कई अधिकारियों को दर्जनों आवेदन दे चुकी थी। तलाश के लिए हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर हुई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर धरनावदा थाना पुलिस ने आत्माराम के मामले में कायमी की। जांच होती रही, लेकिन आत्माराम का आज तक पता नहीं लगा। आत्माराम की मां अपने बेटे को ढूंढ़ते-ढूंढ़ते कुछ समय पूर्व स्वर्ग सिधार गई, जबकि इस मामले में पुलिस के चर्चित दरोगा रामवीर सिंह आदि के खिलाफ मामला भी दर्ज हुआ था। आत्माराम की तलाश में पुलिस की पार्टियां कई जगह गई, लेकिन आत्माराम का कोई सुराग नहीं लग पाया। आत्माराम का मामला चलता रहा। रेंज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने अपने निजी स्वार्थ के चलते आत्माराम का मामला सीआईडी के सुपुर्द करा दिया। तब से वह मामला पेंडिंग पड़ा हुआ है। कुछ समय पूर्व सीआईडी की और से आत्माराम को ढूंढऩे वाले को बीस हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा भी गई थी।

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