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भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे पूर्व परिवहन आयुक्त मुकेश जैन की जय अंबे एमरजैंसी कंपनी मामले में भूमिका संदिग्ध

सिटी टुडे। मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग के रेडियो एंड टेलीकॉम के अधीन एमरजेंसी वाहन डायल 100 तथा 112 एमरजैंसी सर्विस देने के लिए रायपुर की जिस जय अंबे एमरजैंसी कंपनी द्वारा फर्जी कागजात के आधार पर ठेका लेने का प्रयास किया गया था जिसकी शिकायत के बाद हुई जांच के बाद इस कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया, जबकि यह कंपनी इन्हीं फर्जी कागजात के आधार पर वर्तमान में भी स्वास्थ्य विभाग के अधीन 108 की सेवाएं दे रही है सूत्रों अनुसार इनकी सेवाओं से शासन स्थानीय प्रशासन भी संतुष्ट नहीं है इसके बावजूद भी इनकी सेवा निरंतर जारी रखी हुई है।

एक अन्य जानकारी मुताबिक इसी जय अंबे इमरजेंसी कंपनी के संचालकों की तत्कालीन परिवहन आयुक्त मुकेश जैन की सांठगांठ से प्रदेशभर में इनके द्वारा संचालित वाहनों को रोड टैक्स में छूट देने के लिए प्रस्ताव तैयार कर स्वास्थ्य विभाग से अभिमत मांगा गया था परन्तु इसी दौरान मुकेश जैन का स्थानांतरण पुलिस मुख्यालय में कर दिया गया। बताया जाता है कि स्वास्थ विभाग भी कंपनी के साथ-पूर्व परिवहन आयुक्त की कृपा दृष्टि को देखकर परिवहन विभाग को रोड टैक्स छूट देने के लिए अभिमत तैयार कर बैठा हुआ था। अगर मुकेश जैन के कार्यकाल में साठगांठ के इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता तो प्रदेश में  एमरजैंसी सर्विस देने वाली इस व्यापारिक संस्थान को अनुचित लाभ तो पहुँचता ही साथ ही मध्य प्रदेश के विभिन्न विभागों में अनुबंधित वाहन भी शासकीय करो में छूट की मांग करते जिससे प्रदेश के परिवहन विभाग को करोड़ों रुपए सालाना की एक षड्यंत्र के तहत राजस्व हानि होती परंतु मुकेश जैन इस योजना को अंजाम देने के पूर्व ही पुलिस मुख्यालय में स्थानांतरित हो गए। गौरतलब है कि रायपुर की जय अंबे इमरजेंसी कंपनी पर तत्कालीन परिवहन आयुक्त मुकेश जैन की विशेष कृपा के कारण उनकी भूमिका संदिग्ध बताई जाती है, संभवत  शासन ने इसी मुद्दे पर गहन चिंतन कर महत्वपूर्ण शाखा टेलीकॉम एवं रेडियो विभाग की जिम्मेदारी पुलिस मुख्यालय में पदस्थ मुकेश जैन को नहीं दी है।
 

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