सिटी टुडे, गुना। बमोरी विधानसभा के सहरिया आदिवासी बाहुल्य ग्राम उमरदा में उल्टी दस्त, बुखार के प्रकोप के चलते गंभीर रूप से बीमार 11 लोगों को बुधवार की रात ही एंबुलेंस से गुना जिला अस्पताल लाया गया। 8 लोगों को मेडिकल वार्ड और 2 बच्चों को पीआइसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया है। 50 वर्षीय एक व्यक्ति को खून के दस्त होने के चलते परिजनों ने प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया है। चिंता की बात यह है कि परिवार के ज्यादातर सदस्य बीमार होने की वजह से देखरेख के लिए भी कोई नहीं बचा है। जिन परिवार के बड़े सदस्य बीमार हैं, उनके बच्चों की देखभाल पड़ोसी ग्रामीण कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, दो अगस्त को भिड़रा पंचायत के ग्राम उमरदा में उल्टी दस्त के प्रकोप का मामला सामने आया था। जब तक इसकी खबर प्रशासन के पास पहुंची, तब तक वचन सहरिया की मौत हो चुकी थी। वहीं 30 से अधिक ग्रामीण बीमार थे। इनमें से ज्यादातर को उल्टी दस्त, बुखार, घबराहट, जी मचलाना की शिकायत थी। यह बीमार पहले ही दिन नजदीकी फतेहगढ़ स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे भी, लेकिन डॉक्टर ने न तो ठीक ढंग से इलाज किया, बल्कि दवाएं भी बाजार की लिख दीं। इससे ग्रामीण अप्रशिक्षित डॉक्टर (झोलाछाप) के पास पहुंच गए। यहीं से ग्रामीणों की हालत बिगड़ना शुरू हो गई। इसके चलते पहले से बीमार वचनलाल की हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई। वहीं अन्य बीमार लोगों की हालत भी बिगड़ती चली गई। बुधवार को 11 लोगों को सरकारी एंबुलेंस से जिला अस्पताल लाना पड़ा, जहां 50 वर्षीय नारायण सहरिया की हालत बेहद नाजुक बनी हुई है। मेडिकल वार्ड में भर्ती रहते समय उसे जब खून के दस्त आए तो परिजन घबरा गए और उसे सरकारी अस्पताल से प्राइवेट अस्पताल में ले गए। वहीं दो बच्चों को पीआइसीयू में भर्ती कर खून की कमी होने के कारण खून भी दिया गया है। बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए इन मरीजों को एक बिस्तर पर 2 मरीज रखे गए हैं।
प्राप्त जानकारी अनुसार मरीजों की बढ़ती संख्या चिकित्सकों की कमी अस्पताल में दवाइयों का होना आदिवासी गरीब मरीजों के लिए अभिशाप बनता जा रहा है परंतु जिला प्रशासन पर समाजसेवियों एवं सजग राजनेताओं का दबाव बना हुआ है