सिटी टुडे। असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी ने तो गलत दस्तावेज के आधार पर कथित रूप से सर्विस रिकॉर्ड में अपनी होम डिस्ट्रिक्ट ही चेंज करा कर पाई इंदौर में पोस्टिंग जो अपने आप में दंडनीय अपराध है। इंदौर असिस्टेंट कमिश्नर राजनारायण सोनी का होम डिस्ट्रिक्ट था, जिसे व्यक्तिगत लाभ के लिए उनके द्वारा कथित हथकंडों को अपनाकर चेंज कराया गया और अब सरकार को 15 करोड़ की चपत लगाई गई। मप्र आबकारी विभाग में होम डिस्ट्रिक्ट में पोस्टिंग पाने के लिए होम डिस्ट्रिक्ट चेंज कराने का यह नया चलन है और नया भ्रष्टाचार है। आखिर क्यों होम डिस्ट्रिक्ट में पोस्टिंग पाने के लिए फर्जी डाक्यूमेंट्स लगाए सोनी ने अब उनको देखा देखी और भी कई आलाअधिकारी जुगत में लगे हैं इसी गाईड लाइन पर।
डिप्टी कमिश्नर संजय तिवारी को निलंबित करके मुख्यालय क्यों नहीं अटैच किया जा रहा?
संजय तिवारी ने पूर्व में भी जबलपुर में बिना बैंक गारंटी के दुकाने चलवाई और दंड मिलने पर अपने रसूख से मंत्रालय से ही पूरी फाइल गायब करवा दी थी, जिसकी सत्यापित छायाप्रति हमारे पास उपलब्ध है। संजय तिवारी का मुख्यालय इंदौर है, श्री तिवारी इंदौर के असिस्टेंट कमिश्नर रह चुके हैं, FIR में दर्ज दोनों सह आरोपी FIR दर्ज होने से पूर्व संजय तिवारी के दफ्तर में 6 बार मुलाकात कर चुके थे, संजय तिवारी के अभिन्न भोपाली मित्र ने इस फर्जी ठेकेदार को इंदौर भेजा था, अर्थात फर्जी ठेकेदार ने संजय तिवारी की पूर्ण सहमति के बाद ही ठेका लिया और शासन को 15 करोड़ की चपत लगाकर भाग गया। संजय तिवारी ने बैंक गारंटी और धरोहर राशि के संबंध में मीटिंग में असिस्टेंट कमिश्नर सोनी को सीधे निर्देश दिए थे कि बैंक गारंटी और धरोहर राशि बाद में जमा करा दी जाए, (रिकॉर्ड अनुसार विभाग की मासिक मीटिंग की मिनटस में तथा ठेका से संबंधित सभी बैठकों के मिनट्स में इस बात का कोई भी सबूत नहीं है कि संजय तिवारी ने कभी भी बैंक गारंटी और धरोहर राशि जमा करने के निर्देश दिए हो)। इसके बाद भी संजय तिवारी पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। संजय तिवारी ने 15 अप्रैल के बाद लाइसेंस फीस नहीं जमा होने पर भी लगातार फर्जी ठेकेदार की दुकानों पर शराब भिजवाई, न इसका कोई हिसाब है न परमिट है और न ही टीपी, इतने बड़े घोटाले के बाद भी संजय तिवारी को न निलंबित किया गया और न ही हटाया गया यह अपने आप में प्रश्नचिन्ह है।आखिर कौन बचा रहा है संजय तिवारी को?
प्रमुख सचिव एवं आबकारी आयुक्त मप्र दोनों ही इस बात पर मौन है कि आखिर अब तक क्यों इस जोड़ी पर न कार्यवाही हो रही है न जांच हो रही है।